संभल। लोकसभा सत्र के दौरान संभल मामले को लेकर चर्चा न होने पर सांसद ने नाराजगी व्यक्त की है। साथ ही कहा कि जब तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिल जाता तब तक आंदोलन करते रहेंगे। सोमवार को लोकसभा सदन में सत्र के दौरान संभल मामले पर चर्चा के लिए सांसद जिया उर्रहमान बर्क ने कई बार प्रयास किया, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिल सका।
सांसद ने बताया कि वह लगातार संभल मामले को लेकर सत्र में चर्चा करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया जा रहा है। इसलिए सोमवार सुबह को सदन की कार्रवाई को नहीं चलने दिया। जहां नारेबाजी की तो स्पीकर ने दोपहर 12 बजे तक सदन को स्थगित कर दिया था।
जिया उर्रहमान को नहीं मिला संभल पर चर्चा का मौका
उन्होंने कहा कि इस पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से चार बार मिले थे और उन्हें साथ ही कार्य स्थगन प्रस्ताव के नोटिस का हवाला भी दिया, जिस पर उन्होंने मौका देने की बात कही थी। बाद में दोपहर 12 बजे जब सदन शुरू हुआ तो चर्चा की मांग की, जिस पर उन्होंने पूरे दिन के लिए सदन को स्थगित कर दिया।
सांसद ने कहा कि सरकार इस मामले पर चर्चा से भाग रही है। क्योंकि मानवता को शर्मसार करने के साथ ही सोची समझी साजिश के तहत इसको अंजाम दिया गया था। उन्होंने कहा कि जब तक पीड़ितों को इंसाफ व दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती वह तब तक आंदोलन जारी रखेंगे। साथ ही कहा कि मंगलवार को सत्र के दौरान शायद उन्हें सदन में चर्चा का मौका मिलेगा।
संभल हिंसा के मृतकों के परिवारों के लिए क्यूआर कोड से हो रहा चंदा
हालांकि कुछ दिन पूर्व यह भी दावा किया गया था कि जिन लोगों के द्वारा चंदा एकत्रित किया जा रहा है, उनके द्वारा मृतकों के परिवार को कोई सहयोग धनराशि प्रदान नहीं की गई है, लेकिन जैसे ही यह मामला इंटरनेट मीडिया और अन्य मीडिया के प्रकाश में आया तो पीड़ित परिवारों के द्वारा दावा किया गया कि संबंधित एनजीओ और अन्य लोगों के द्वारा उन्हें चंद के माध्यम से मदद प्रदान की जा रही है।
संभल में मस्जिद और हरिहर मंदिर के बीच हुए सर्वे के दौरान हिंसा भड़की थी, चार लोगों की मौत हो गई थी और पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार बिश्नोई उनके पीआरओ संजीव कुमार के अलावा डिप्टी कलक्टर रमेश बाबू, सीओ अनुज चौधरी समेत 30 अन्य लोग घायल हुए थे।
हिंसा में आगजनी, पथराव और फायरिंग हुई थी, जिसके कारण स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण हो गई थी। मृतकों के परिवारों को मदद पहुंचाने के लिए एनजीओ के अलावा हैदराबाद से सलमान और अन्य लोग भी सामने आए हैं। मृतकों के परिवारों का कहना है कि वे आर्थिक सहायता के लिए एनजीओ की मदद से उम्मीद कर रहे हैं, ताकि उनके जीवन की स्थिति को सुधारने में मदद मिल सके।
हिंसा में जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, उनकी मदद के लिए समाज से सहयोग जुटाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इस समय, मृतकों के परिवारों को आर्थिक और मानसिक दोनों तरह की मदद की आवश्यकता है, और इस पहल के तहत उन्हें राहत देने के प्रयास किए जा रहे हैं।
परिवारों का दावा है कि एनजीओ के द्वारा चंदे की एकत्रित राशि सीधे प्रभावित परिवारों को पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। यह भी दावा किया गया है कि चंदा पूरी पारदर्शिता के साथ इन परिवारों तक पहुंचाया जाएगा। स्थानीय प्रशासन और पुलिस अधिकारियों की तरफ से भी हिंसा की घटना के बाद स्थिति को शांतिपूर्ण बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।